Jul 7, 2009

ये रात ये फ़िज़ायें-बंटवारा १९६१

क्या किसी नामचीन संगीतकार का होना जरूरी है
मधुर गीत के लिए । बिल्कुल नहीं, कम से कम ये गीत
इस बात का सबूत है। अनजाने से सितारों वाला ये गाना
आल इंडिया रेडियो और रेडियो सीलोन का पसंदीदा रहा है।
इसको मजरूह सुल्तानपुरी ने तबियत से लिखा है। संगीत
तैयार किया है एस. मदन ने। फ़िल्म का नाम है बंटवारा जो
१९६१ में आई थी और इसमे प्रदीप कुमार, निरूपा रॉय मुख्य
कलाकार हैं।

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गाने के बोल:

ये रात ये फ़िज़ायें फिर आये या न आये
आओ शमा बुझा के हम आज दिल जलायें

ये नर्म सी खामोशी ये रेशमी अँधेरा
कहता है ज़ुल्फ़ खोलो रुक जायेगा सवेरा
जुगुनू से मिल के चमके तारे से झिलमिलायें

आओ शमा बुझा के ...

भीगी हुई हवायें अब रात ढल रही है
ऐसे में दो दिलों की इक शम्मा जल रही है
ये प्यार का उजाला मिल के अमर बनायें

आओ शमा बुझा के हम आज दिल जलायें

ये रात ये फ़िज़ायें फिर आये या न आये
आओ शमा बुझा के हम आज दिल जलायें

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